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उपन्यास >> अनुत्तर योगी : तीर्थंकर महावीर 4

अनुत्तर योगी : तीर्थंकर महावीर 4

वीरेन्द्र कुमार जैन

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :366
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10390
आईएसबीएन :9788126315666

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हजारों वर्षों के भारतीय पुराण-इतिहास, धर्म, संस्कृति, दर्शन, अध्यात्म का गम्भीर एवं तलस्पर्शी मन्थन करके वीरेन्द्रकुमार जैन ने यहाँ इतिहास के पट पर महावीर को जीवन्त और ज्वलन्त रूप में अंकित किया है

हजारों वर्षों के भारतीय पुराण-इतिहास, धर्म, संस्कृति, दर्शन, अध्यात्म का गम्भीर एवं तलस्पर्शी मन्थन करके वीरेन्द्रकुमार जैन ने यहाँ इतिहास के पट पर महावीर को जीवन्त और ज्वलन्त रूप में अंकित किया है। पहली बार यहाँ शिशु, बालक, किशोर, युवा, तपस्वी, तीर्थंकर, और दिक्काल विजेता योगीश्वर न केवल मनुष्य रूप में बल्कि इतिहास-विधाता के रूप में सांगोपांग अवतीर्ण हुए हैं। इस प्रकार ऐतिहासिक और पराऐतिहासिक महावीर का एक अदभुत सामंजस्य इस उपन्यास में सहज ही सिद्ध हो सका है।

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