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पुरातत्त्व का रोमांस

भगवतशरण उपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10365
आईएसबीएन :9788126319749

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भगवतशरण सिर्फ लेखक की हैसियत से ही नहीं वरन एक पुरातत्त्वशास्त्री की तरह भी अपरिचित समय, इतिहास और संज्ञान को सूत्रबद्ध करते हैं…

भगवतशरण सिर्फ लेखक की हैसियत से ही नहीं वरन एक पुरातत्त्वशास्त्री की तरह भी अपरिचित समय, इतिहास और संज्ञान को सूत्रबद्ध करते हैं। किसी पुरातात्त्विक के प्रेम की कैफियत और ज़रूरी ज़िद के विषय में कुछ भी कहना सर्वविदित सत्य का दुहराव ही होगा। उपाध्याय जी ने पुरातत्त्व के उन स्थलों को निकट से देखा है, कुछ की खुदाई में शामिल रहे हैं और कुछ की सामग्री खनिकों की डायरियों से ली हैं।

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