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आईने, सपने और वसन्तसेना

रवि बुले

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10347
आईएसबीएन :9788126314218

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रवि बुले का पहला कहानी संग्रह 'आईने, सपने और वसन्तसेना' कई तरह से हिन्दी कहानी के आत्ममुग्ध चरित्र को चुनौती देता है

रवि बुले का पहला कहानी संग्रह 'आईने, सपने और वसन्तसेना' कई तरह से हिन्दी कहानी के आत्ममुग्ध चरित्र को चुनौती देता है। इस संग्रह में शामिल आठ कहानियाँ समय में घुलती मानवीय चिन्ताओं को टटोलती हैं। इनका 'नितान्त नयापन' सहजता से रेखांकित किया जा सकता है।

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