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रात और विषकन्या

नोमान शौक

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10345
आईएसबीएन :9788126313552

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बीसवीं सदी के आखिरी दशकों में उभरे जो कवि समय की पहचान की निरन्तर कोशिश के साथ एक सार्थक जीवन दृष्टि के लिए पढ़े जाएँगे, उनमें नोमान शौक़ महत्त्वपूर्ण हैं

बीसवीं सदी के आखिरी दशकों में उभरे जो कवि समय की पहचान की निरन्तर कोशिश के साथ एक सार्थक जीवन दृष्टि के लिए पढ़े जाएँगे, उनमें नोमान शौक़ महत्त्वपूर्ण हैं। उर्दू की खुशबू से लबरेज ये कविताएँ साम्प्रदायिकता और भूमंडलीकरण की बर्बरता का प्रतिकार विद्रोह की जिस भाषा में करती हैं, वह इस पुस्तक को विशिष्ट बनती हैं।

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