लोगों की राय

नई पुस्तकें >> दास्ताँ और भी हैं

दास्ताँ और भी हैं

शेख मुजीबुर रहमान

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :332
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10171
आईएसबीएन :9788126729791

Like this Hindi book 0

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक नेताओं में अग्रणी थे। वे दो बार स्वतंत्र बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी रहे। यह पुस्तक बंगबंधु के रूप में सम्मानित-स्वीकृत शेख मुजीबुर रहमान की आत्मकथा है, जो उन्होंने अपने कारावास के दिनों में लिखी थी। इसमें उन्होंने अपने 1955 तक के निजी और सार्वजनिक जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है।

इस पुस्तक से जाहिर होता है कि एक सच्चे जननेता के रूप में उनकी हैसियत कितनी ऊँची थी। अपने देश और अपने लोगों के लिए उन्होंने अपने जीवन को जोखिम में डालकर संघर्ष का एक ऊँचा उदाहरण पेश किया। प्रथम दृष्ट्या तथ्यों पर आधारित इस आत्मकथा में हमें भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की कुछ झलकियों के अलावा पाकिस्तान आन्दोलन, भाषा आन्दोलन, बांग्लादेश की स्वाधीनता के आन्दोलन और इसके दौरान पाकिस्तानी शासन द्वारा किए गए षड्यंत्रों और दमन से सम्बन्धित अनेक दुर्लभ ऐतिहासिक तथ्यों और कहानियों की जानकारी मिलेगी। कई वर्षों तक अनुपलब्ध रही इस आत्मकथा को सामने लाने का श्रेय उनकी पुत्री शेख हसीना और उनके अन्य परिजनों को जाता है जिन्होंने अत्यन्त परिश्रम के साथ जर्जर, खस्ताहाल कागजों में से इस दस्तावेज को सम्भव किया।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book