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पारो की कहानी

सुगरा मेहदी

प्रकाशक : कथा प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :20
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 10029
आईएसबीएन :9788185586175

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पारो का मन घर के कामों में नहीं लगता था। उसे अच्छा लगता था बाहर घूमना, खेतों पर जाना और खूब तेज़ साइकिल दौड़ाना !

एक बहादुर लड़की की कहानी, जिसे ज़िन्दगी में कुछ ऐसा करना था जिसमें उसे खुशी मिले !

सर्वश्रेष्ठ कथामाला भारत के महान लेखकों की एक शानदार कहानी श्रृंखला है। आइए अपने देश के साहित्य का खजाना खोजें, इन कहानियों और इनसे जुड़े खेलों और अभ्यासों के ज़रिए !

इस पुस्तक की कहानी उर्दू भाषा की प्रमुख लेखिक सुगरा मेहदी ने लिखी है।

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