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जैसा तुम चाहो

शेक्सपियर

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4836
आईएसबीएन :9788170283867

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

विश्व-साहित्य के गौरव, अंग्रेज़ी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 ई. को इंग्लैंड के स्ट्रैटफोर्ड-ऑन-एवोन नामक स्थान में हुआ। उनके पिता एक किसान थे और उन्होंने कोई बहुत उच्च शिक्षा भी नहीं प्राप्त की। इसके अतिरिक्त शेक्सपियर के बचपन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। 1582 ई. में उनका विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐन हैथवे से हुआ। 1587 में शेक्सपियर लंदन की एक नाटक कम्पनी में काम करने लगे। वहाँ उन्होंने अनेक नाटक लिखे जिनसे उन्होंने धन और यश दोनों कमाए। 1616 ई. में उनका स्वर्गवास हुआ।

प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया है, जो इस सीरीज़ में पाठकों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

शेक्सपियर : संक्षिप्त परिचय

विश्व-साहित्य के गौरव, अंग्रेज़ी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 ई. में स्ट्रैटफ़ोर्ड-ऑन-ऐवोन नामक स्थान में हुआ। उसकी बाल्यावस्था के विषय में बहुत कम ज्ञात है। उसका पिता एक किसान का पुत्र था, जिसने अपने पुत्र की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध भी नहीं किया। 1582 ई. में शेक्सपियर का विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐन हैथवे से हुआ और सम्भवत: उसका पारिवारिक जीवन सन्तोषजनक नहीं था। महारानी एलिज़ाबेथ के शासनकाल में 1587 ई. में शेक्सपियर लन्दन जाकर नाटक कम्पनियों में काम करने लगा। हमारे जायसी, सूर और तुलसी का प्राय: समकालीन यह कवि यहीं आकर यशस्वी हुआ और उसने अनेक नाटक लिखे, जिनसे उसने धन और यश दोनों कमाए। 1612 ई. में उसने लिखना छोड़ दिया और अपने जन्म-स्थान को लौट गया और शेष जीवन उसने समृद्धि तथा सम्मान से बिताया। 1616 ई. में उसका स्वर्गवास हुआ।

इस महान् नाटककार ने जीवन के इतने पहलुओं को इतनी गहराई से चित्रित किया है कि वह विश्व-साहित्य में अपना सानी सहज ही नहीं पाता। मारलो तथा येन जानसन जैसे उसके समकालीन कवि उसका उपहास करते रहे, किन्तु वे तो लुप्तप्राय हो गए, और यह कविकुल दिवाकर आज भी देदीप्यमान है।

शेक्सपियर ने लगभग 36 नाटक लिखे हैं, कविताएँ अलग। उसके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं-जूलियस सीज़र, ऑथेलो, मैकबेथ, हैमलेट, लियर, रोमियो जूलियट (दु:खान्त), एक सपना (ए मिडसमर नाइट्’स ड्रीम), वेनिस का सौदागर, बारहवीं रात, तिल का ताड़ (मच एडू अबाउट नथिंग), तूफ़ान (सुखान्त)। इनके अतिरिक्त ऐतिहासिक नाटक तथा प्रहसन भी। प्राय: उसके सभी नाटक प्रसिद्ध हैं। शेक्सपियर ने मानव-जीवन की शाश्वत भावनाओं को बड़े ही कुशल कलाकार की भाँति चित्रित किया है। उसके पात्र आज भी जीवित दिखाई देते हैं। जिस भाषा में शेक्सपियर के नाटक का अनुवाद नहीं है वह उन्नत भाषाओं में कभी नहीं गिनी जा सकती।

भूमिका

‘जैसा तुम चाहो’ शेक्सपियर का एक सुखांत नाटक है। इसे उसने संभवतः 1599 ई. के उत्तरार्द्ध में या 1600 ई. के पूर्वार्धकाल में लिखा था। शेक्सपियर के नाट्यजीवन-विषयक समय में यह उसके दूसरे काल की रचना है। नाटक का मूल स्रोत एक फ्रांसीसी उपन्यास ‘रोज़ालिंड इयुफुएस गोल्डेन लगैसी’ (Rosalynde Euphues Golden Legacie) से लिया गया है, जिसमें उपदेशात्मक रूप से बताया गया है कि विपत्ति का अन्त सुखमय होता है। यह एक प्रेमकथा है। प्रतिकार से संधि भली है और भलाई की ही अन्त में जीत होती है।

कथानक यों है–ऑरलेंडो एक सुन्दर युवक, स्वर्गीय सर रोलैंड का पुत्र, अपने भाई ओलिवर का संरक्षित, दुर्व्यवहार से रखा गया। उसने विद्रोह किया तो बड़े भाई ने उसके वध की तैयारी की। ऑरलेंडो का मल्ल-युद्ध ड्यूक के दरबारी मल्ल चार्ल्स से हुआ। ड्यूक फ्रैडरिक अपने भाई का राज्य हड़प लिया था। उसकी पुत्री सीलिया और निर्वासित ड्यूक की पुत्री रोज़ालिंड में बड़ी प्रीति थी। उन्होंने ऑरलेंडो की सुकुमारता देख युद्ध रोकना चाहा। परन्तु ऑरलेंडो ने चार्ल्स को हरा दिया। रोज़ालिंड ने उसे कण्ठहार दिया। दोनों में प्रेम हो गया।

ड्यूक फ्रैडरिक ने रोज़ालिंड को देश निकाला दे दिया। रोज़ालिंड चरवाहा बनी, पुरुष-रूप धर लिया, सीलिया देहाती स्त्री बनी। दोनों निर्वासित डयूक के वन में चली गईं। इनके साथ विदूषक टचस्टोन भी गया।

उधर ऑरलेंडो ने भी भाई के कुचक्रों से तंग आ, पिता के पुराने सेवक आदम के साथ घर छोड़ा और दोनों उसी अर्दन वन में पहुंचे।

प्रेम में पागल ऑरलेंडो ने अनेक प्रेम-कविताएं लिखीं; पेड़ों पर कविताएं लटका दीं। रोज़ालिंड ने उन्हें पढ़ा। एक दिन वह अपने पुरुष-वेश में उससे मिली पर पहचान न सका। रोज़ालिंड ने कहा, ‘‘मुझे प्यार करो तो तुम्हें तुम्हारी प्रिया से मिला दूंगा।’’

ड्यूक फ्रैडरिक के दोषारोपण से डरकर बड़ा भाई ओलिवर भी घर छोड़ भागा और वहीं पहुंचा। ड्यूक ने उसकी संपत्ति हड़प ली। वन में वह सो रहा था कि भूखी शेरनी ने आ घेरा। ऑरलेंडो ने सिंहिनी पर हमला कर भाई के प्राण बचा लिए और स्वयं घायल हो गया। अपने रक्त से सना रूमाल उसने चरवाहे को भेज दिया। रोज़ालिंड उसे देख मूर्छित हो गई। अन्त में दोनों का मिलन हुआ। सीलिया और ओलिवर भी मिल गए। टचस्टोन ने भी एक देहातिन से विवाह कर लिया। गैनीमीड यानी रोज़ालिंड की प्रसन्नता तब पूर्ण हो गई जब ड्यूक फ्रैडरिक वन में बड़े भाई के पास गया और उसने पश्चाताप करते हुए क्षमा माँगी।

यों सुख मिलन सम्पन्न हो गया।

‘जैसा तुम चाहो’, शेक्सपियर का बहुत ही उत्कृष्ट सुखांत नाटक माना जाता है। इसमें हास्य भी है और मस्ती भी। सौंदर्य तो बिखरा पड़ा है। शेक्सपियर ने अपने समय के सुखांत नाटक की परंपरा के आगे बढ़कर ही रचना को उत्कृष्ट बनाया। प्रस्तुत नाटक में नायक से अधिक नारी चित्रण नाटककार ने अधिक सफलता से किया है। विदूषक का पात्र इस नाटक में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वह वास्तव में बड़ा चतुर व्यक्ति है। प्रस्तुत नाटक में प्रकृति का बहुत सामीप्य है।

इस नाटक का अनुवाद करना बहुत कठिन कार्य रहा है। एक तो हास्य में शेक्सपियर ने अंग्रेज़ी भाषा के दो अर्थों वाले शब्दों का प्रयोग किया है, जिन्हें दूसरी भाषा में उतारना असंभव-सा बन गया है। दूसरे, गीतों में कुछ ऐसे ‘आनन्दसूचक’ शब्दों का या ध्वनियों का प्रयोग किया गया है, जिनका हिन्दी में पर्याप्त है ही नहीं। इसलिए मैंने मूलार्थ दे दिया है-गद्य में, ताकि पाठक नाटककार के मूल से जानकारी प्राप्त कर ले, और वैसे उसी भावार्थ को लेकर गीत भी लिख दिए हैं ताकि वैसे नाटक पढ़ते समय कोई व्याघात उपस्थित न हो।

इस नाटक के गीतों में बहुत-से ऐसे संदर्भ भी आते हैं जो काव्य के दृष्टिकोण से हिन्दी में अनुवाद कर देने पर पाठक को आनन्द नहीं दे सकते, जैसे क्लियोपैट्रा इत्यादि के उल्लेख ऐसे ही हैं, अतः उन्हें केवल मूलार्थ में दे दिया गया है।

मेरी अत्यन्त सावधानी के बाद भी अवश्य अभाव रह गए होंगे जिन के लिए मैं शेक्सपियर के प्रेमियों से यही चाहूंगा कि वे मुझे भविष्य के लिए और भी सावधान कर दें।

- रांगेय राघव

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