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अँधेरे में हँसी

योगेन्द्र आहूजा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :164
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 108
आईएसबीएन :81-263-1037-5

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संघर्ष भरी जिन्दगी के बीच जीने की जद्धोजहद योगेन्द्र आहूजा की कहानियों की विशेषता है।

Andherey Mein Hansi - A Hindi Book by - Yogendra Ahuja अँधेरे में हँसी - योगेन्द्र आहूजा

संघर्ष भरी जिन्दगी के बीच जीने की जद्धोजहद योगेन्द्र आहूजा की कहानियों की विशेषता है। उनकी कहानियां उजाले में आने की आकांक्षा में मानो किसी अँधेरी सुरंग में यात्रा करने की भयावहता का दास्तान सुनाती हों। साहित्य जगत के कुछ महत्त्वपूर्ण पात्रों की कहानियों में उपस्थिति जैसे यही बताती हो कि पाठक इनहें सिर्फ स्वप्न-कथा ही नहीं समझे बल्कि वह सृजनशील लोगों और चिन्तकों द्वारा किये जा रहे प्रतिरोध की सच्चाई को भी महसूस करें।

योगेन्द्र आहूजा अपने लेखन में क्लाइमेक्स तक पहुँचने की जल्दबाजी में नहीं दिखते। शास्त्रीय गायक की तरह दूर तक ले जाते हैं। गंतव्य की तलाश में वे प्रायः अपने पाठकों को भूलभुलैया में डाल देते हैं, यह भी उनकी कला है। वे इसके जरिये जीवन के उलझाव को रेखांकित करते हैं।

हकीकत को बयान करने वाली इन कहानियों में अँधेरे से उलझते हुए भी शोषण से मुक्ति का स्वप्न नजर आता है। निश्छल सामाजिकता की उजली इबारत पर स्याही फेरने वाले जनविरोधी लोगों के विरुद्ध योगेन्द्र आहूजा की कहानियाँ जोर से हँसती नजर आती हैं।

जीवन की उलझाव को रेखांकित करने वाली भिन्न आस्वाद की एक उल्लेखनीय कृति।

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